इज्तिरार - 4 (अंतिम भाग)

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( 19 ) अंतिम भागकाम करते हुए एक महीना कब निकल गया ये पता ही नहीं चला। पता चला तब, जब पहला वेतन मिला। ज़िन्दगी की पहली नियमित कमाई। संयोग से दो दिन बाद ही रविवार था। मैं वेतन के नए नोट जेब में भर कर शनिवार की शाम को कोटा के लिए निकल गया। नाव में जाते हुए मुझे बीते दिन याद आते रहे, और सबसे ज़्यादा शिद्दत से याद आया वो दौर जब मैं स्कूल में पढ़ा करता था और एक दोपहर मेरा छोटा भाई अपने तीन चार दोस्तों के साथ तीन किलोमीटर से सायकिल चलाता हुआ मेरे