भदूकड़ा - 22

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और ये सुमित्रा! इसे तो मैं खूब पहचानती हूं. इसकी तो रग-रग में मुझे नीचा दिखाने की नीयत भरी है. इसीलिये इसने बुड्ढे से मेरी शादी करवाई, इसीलिये ये यहां ले के आई ताकि मेरे सामने ये दोनों अपनी सुन्दरता बखानती घूमें. इस सुमित्रा को इतना नीचा दिखाया, लेकिन तब भी अकल ठिकाने न आई इसकी. ये बड़े भैया बहुत प्यार करते हैं न सुमित्रा को, बड़ी इज़्ज़त करते हैं न..... देखना सुमित्रा इनकी नज़रों में तुम्हें न गिराया तो मेरा नाम बदल के मंथरा रख देना हां. स्वग्त में लगातार खुद से वार्तालाप करती कुन्ती की अन्तिम पंक्ति फिर