काला सूरज रोज़ रात को राहब मोआसा एक ही सपना देखती कि उसके देश यूथोपिया की सारी ज़मीन हरी-हरी घास से भर गई है। खेत-खलिहान अनाज से और घने सायेदार दरख़्त फ़लों से लद गए हैं। रिमझिम बारिश हो रही है। बच्चे पानी से भरे गड्ढों में खेल रहे हैं और वह गोद में गदबदा-सा बच्चा लिए उसे दूध पिला रही है। चूल्हे पर उबलती हाँड़ी भाप उड़ाती खदबद-खदबद पक रही है। उसका लंबा-चौड़ा शौहर कसरती बदन के साथ घर में दािख़ल होता है और वह उठकर उसके आगे खाने की रकाबी रख उसमें गर्म-गर्म खाना परोसती है। तभी बड़े