इज़्तिरार

  • 9.1k
  • 3.2k

(1)यदि कल्पना या सुनी सुनाई बातों का सहारा न लेना हो तो मुझे केवल पैंसठ साल पहले की बात ही याद है। अपने देखे हुए से दृश्य लगते हैं पर धुंधले।धूप थी, रस्सी की बुनी चारपाई थी, खपरैल से ढके कच्चे बरामदे से सटा छोटा सा आंगन था। चारपाई पर एक हिस्से में बिछी पतली सी दरी, और पास ही नम, गुनगुना सा पड़ा एक तौलिया। खाट पर खुला पड़ा एक पाउडर का डिब्बा। और मुझे नहला कर बाहर धूप में लेटा कर तैयार करते दो चपल से हाथ।शिशु शरीर पर पाउडर लगाने के बाद एक पतली सी अंगुली भी