चिड़िया उड़ गई फुर्र...

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चिड़िया उड़ गई फुर्र... "अटकन-चटकन दही चटाकन कव्वा लाटा बनकर कांटा सुरू रुरु पानी आया चिड़िया उड़ गई फुर्र...." कहते ही निधि अपने दोनों हाथ सिर के ऊपर उठाकर जोर से किलकारियां मार कर हंसने लगती और ताली बजाती। अटकन-चटकन निधि का सबसे प्रिय खेल है। सारा दिन निर्मला अर्थात अपनी दादी के साथ यही खेलना चाहती है और फुर्र कहते ही जहां निधि खिलखिला कर हंसने लगती है, वही निर्मला का दिल बैठ जाता है। पाहुनी बनकर चार दिनों के लिए आई है कुछ ही समय में यह नन्ही सोनचिरैया सचमुच में ही अपने मम्मी-पापा के साथ फुर्र से