अचानक -------------- उसने सीढ़ियां चढ़ते हुए एक लंबी साँस खींची थी ,पता नहीं ---शायद थक गई थी या फिर आदत पड़ गई थी उसे बार-बार लंबी साँस लेने की | ये लायब्रेरी की सीढ़ियाँ थीं जिनमें उसका रोज़ ही उतरना-चढ़ना न हो तो दिन में कम से कम तीन-चार बार तो हो ही जाता | "क्या यार ---ये लंबी-लंबी साँसें क्यों लेती रहती हो ?" अंकित मेहता कैटेलॉग में कोई पुस्तक ढूंढ रहे थे | लेखकों में बड़ा नाम !बड़ा रौब ! "और ये क्या ---हे राम ! ,यार ये कोई उम्र है 'हे