आओ चलें परिवर्तन की ओर... - 7

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मीतू नहा कर गुसलखाने से बाहर निकलती है कि दरवाज़े पर लगी घंटी ज़ोर-ज़ोर से बजने लगती है | मीतू की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है | वह समझ जाती है कि ज़रूर बच्चे ही होंगे और यह काम सिर्फ़ आनिया ही कर सकती है | वह भाग कर जाती है और जल्दी से दरवाज़ा खोलती है | सामने एक अनजान लड़के को देख गुस्से से बोलती है “क्या आफत आ गई है? क्यों इतनी ज़ोर से घंटी बजा रहे थे?” वह लड़का कुछ सकपकाते हुए बोला “आंटी, मुझे शर्मा जी के घर जाना है | उन्होंने फ़ोन कर