आओ चलें परिवर्तन कि ओर... - 3

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“अम्मा, देखो इसने दूध गिरा दिया है |” “घर में घुसते ही इन लोगों के क्लेश सुन-सुनकर तो मैं दुःखी हो गयी हूँ | सोफ़िया तुम कहाँ हो |” सोफ़िया, सोनिया की आवाज़ सुन कर रसोई से निकलते हुए बोली “मैडम, मैं यहाँ रसोई में दूध गर्म कर रही हूँ |” “तुम यहाँ दूध गर्म कर रही हो तो फिर माही क्यों चिल्ला रही है कि दूध गिर गया है?” सोफ़िया, सोनिया के पास आकर धीरे से बोलती है “मैडम, आप जा कर देखिए कमरे में क्या हो रहा है ?” सोनिया कमरे का पर्दा धीरे से हटा कर अंदर