प्रेम पाना नहीं है बल्कि एक जीवन दृष्टि है।ऐसी दृष्टि जो हमें रागात्मक और उदात्त बनाती है ।जहाँ हम अपने आत्मा का विस्तार करते हैं।।जबकोइ आपको इग्नोर करता है ना तो दर्द होता है बहुत दर्द मैं समझ सकता हु क्योंकि अभी मैं भी उसी हाल से गुजर रहा हु, बस उस दर्द को कम होने मत दो ये आग जला रहने दो जरूरी है ये आग इसका उपयोग करना सीखो डॉ सम्भूनाथ का नाम तो सुने ही होंगे सब हिंदी के बहुत बड़े आलोचक है हिंदी ज्ञान कोष के संपादक एक दिन एक इवेंट में मेरी मुलाकात उनसे हुई