चमगादड़ एक ऐसा जीव है,जो रात के अंधेरे में उड़ता है,और जब सब जानवर सो रहे होते हैं, वो चुपके से उनके किसी नाजुक जगह को अपनी लार से शून्य कर देता है फिर वहाँ हल्का सा जख्म कर देता है और आहिस्ते आहिस्ते वहाँ से रक्त चूसता रहता है। इसीलिए उसे रक्तपिसाच भी कहते हैं। इस बात को कहने का उद्देश्य यह है कि हमारे जीवन में भी तनाव और दबाव का यही चमगादड़ रोज हमारे अंगों को शिथिल कर हमारी ऊर्जा चूस रहा है। अब सवाल उठता है कि क्या जीवन का उत्साह,आनंद और उमंग का