साक्षात्कार - 2 - अंतिम भाग

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साक्षात्कार नीलम कुलश्रेष्ठ (2) उसे अपनी एक मित्र सिन्धु से जानकारी है जो इनके यहाँ काम कर चुकी है कि हर पाँचवें छठे महीने इनका विदेश टूर लगता रहता है. हर बात को वे विदेशी नज़रिये से तौलते हैं. वह सही कह रही थी जोशी जी कह उठते हैं, विदेशों में तो आप किसी लेडी से कह सकते हैं कि आप सुंदर हैं. आपकी ड्रेस सुंदर है. यहा तो किसी लेडी से कुछ कह ही नहीं सकते. वह मन ही मन खुश होती है कि वह् सुंदर नहीं है. वह जब इंटर्व्यू लेने निकलती है तो बाल कसकर बाँध