रेडियो ! कुछ ऐसे ही नाम से वो मुझे चिढ़ाया करता था और मुझे खुशी है की मैं किसीकी जिंदगी का रेडियो रही हूँ । पुराना ही सही मगर असरदार ! जो हमेशा ही बजता रहता है ! बिल्कुल धड़कनों की तरह आहिस्ता आहिस्ता ...। जिसकी आवाज कभी सुनाई नही देती ... उस वक्त को गुज़रे हुए आज सत्ताईस साल हो गए । लेकिन आज भी ऐसा लगता है जैसे की कल की ही बात हो । डर लगता है उस वक्त को याद करते हुए भी । कही किसीको पता