इश्क़ 92 दा वार (पार्ट -4)

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कंटीन्यू पार्ट -4किसी की फिदाई भी किसी के लिए खता होती हैं... !ये इश्क़ का मंज़र हैं दोस्त कम ही लोगों में वफ़ा होती हैं.. !!रोज़ की तरह आज भी सूरज उगा था लेकिन अनु के जागने के बाद... अनु आज कोई भी भूल या चूक नहीं करना चाहती थी... उसने खत को अपने आंचल में छिपा लिया था... और तैयार होकर वो किचन में आ गयी थी.. मां ने इतनी जल्दी तैयार होने का कारण पूछा तो अनु ने भी जवाब दिया... मां कल लेट होने के कारण स्कूल नहीं गयी थी इसलिए आज जल्दी पहुंच जाउंगी.. लेकिन बेटा स्कूल तो अपने