मंजिल की तरफ मनु के कदम तेजी से बढ़ चुके थे... नज़रों की तकरार की तय और मुकम्मल जगह पर मनु पहुंच चुका था मन और दिल बेचैनीं भरा हुआ था नज़रे अनु के आने वाली सडक की तरफ टिक चुकी थी मन में उकलाहट मनु के शरीर में अजीब सी हरकतें पैदा उत्पन्न कर रही थी.... एक एक पल उसे घंटे भर के लग रहे थे... मनु की बेचैनी वक़्त दर वक़्त बढ़ती ही जा रही थी... वही अनु के तेज़ क़दमों की चाल मंज़िल की कुछ दुरी पर पहुंचते पहुंचते लड़खड़ाने से लगे थे .... दिल की धड़कने तेज़