भेड़ियों का पोशम्पा

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भेड़ियों का पोशम्पा सीमा शर्मा भेड़ियों का झुंड दनदनाता हुआ आया और लाश के चारों ओर गोल-गोल चक्कर काटने लगा। उनमें से एक ने लाश को सूँघा। अचानक उसने नाक सिकोड़ ली। जैसे दुर्गंध लगी हो। दूसरा भेड़िया चौंका। उसने अपनी थूथन आगे बढ़ाई। वह भी सूँघना चाहता था। पहला भेड़िया हँसने लगा। यह देख कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। भेड़िया हँस रहा है ? क्या भेड़िये हँसते हैं ? हँसते हुए वह एकदम अजनबी लग रहा था। नहीं, बल्कि मनुष्य जैसा लग रहा था। उफ्। दूसरे भेड़िये ने भी बुरा-सा मुँह बना कर अपनी थूथन हटा ली। पहले