परवरिश

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लघुकथापरवरिश “ मैडम जी पलीज मेरे बेटे को बचा लीजिए. वकील साहब को आप कहेंगी तो वे जैसे भी करके उसे छुड़ा देंगे . अभी उसकी उम्र ही क्या है । पंद्रह का ही तो हुआ है । जेल हो गई तो कहीं के नहीं रहेंगे . आप तो पढ़ाये हो उसे -“. वह लगातार बोले जा रहा था.” वही रूप लाल जिसे दो साल पहले जब स्कूल बुलाया गया था कि उसके बेटे ने वीडियो गेम खेलने के चक्कर में गलती से अपने पिता की ब्लू फिल्म देख ली थी. और अब उत्सुकता के मारे अपने दोस्तों को उसके बारे में