चौपाल

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चौपाल शब्द बीते समय में बहुत मायने रखता था। अब ये महज़ किताबी शब्द बनकर रह गया है। जब कभी कहीं पर कुछ बुजुर्ग लोग बैठे हो जिन्होंने चौपाल पर अपनी जिंदगी के कुछ पल बिताए हो, तब उनके सामने चौपाल को जानने का प्रस्ताव रखिए फिर देखिये इस शब्द की महिमा वो कितनी उत्सुक्तास से करते है। बिल्कुल वैसे ही जैसे कोई अपने प्रेमी के बारे में करता है। कुछ समय बाद वो बुज़ुर्ग लोग भी हमारे बीच नही रहेंगे, जिन्होंने चौपाल वाला जीवन जिया है। फ़िर ये महज़ किताबी शब्द बनकर रह जाएगा और वक्त के चलते अनुपयोगी