रिसते घाव (भाग- ५)

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श्मशान से लौटने के बाद राजीव नहाधोकर उसी कमरे में आकर बैठ गया जहाँ सुरभि का पार्थिव शरीर अंतिम समय रखा गया था । खाली पड़े बेड पर सूनी हो चुकी आँखों से नजर पड़ते ही उसकी आँखों की पलकें भींग गई । अपना दायाँ हाथ आगे बढ़ाकर वह तकिये पर एक गहरी संवेदना के साथ फेरने लगा । ‘मुझे माफ कर दो दीदी ।’ वह धीमे से बुदबुदाया और फिर आँखों से बह निकली अनवरत अश्रुधारा को हाथ आँखों के पास ले जाकर अपनी शर्ट की बांह से पोंछने लगा । डबडबाई हुई आँखों के सामने वर्षों से मन में