भदूकड़ा - 16

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आज उन्हें अपनी पहली पत्नी भी बहुत याद आ रही थीं. कितनी शान्त-शालीन थी सुशीला....! लगभग सुमित्रा जैसी ही. दोनों में प्यार भी बहुत था. शादी के बाद जब तक सुशीला ज़िन्दा थी, सुमित्रा की चोटी वही किया करती थी, बिल्कुल मां की तरह. सुशीला के साथ का अनुभव इतना अच्छा था कि वे समझ ही न पाये कि दुनिया में कोई स्त्री इतनी खुराफ़ाती भी हो सकती है!! पूरे खानदान में ऐसी कोई महिला न थी तो तिवारी जी सोच भी कैसे पाते? फिर ये तो सुमित्रा की बहन थी.... कहां सुमित्रा और कहां कुन्ती!!!! उधर कुन्ती भी तिलमिलाई सी