कुन्ती का चेहरा पीला पड़ गया. उसे मालूम ही नहीं था, कि सुमित्रा रमा को बता के सामान लाती है उनके लिये!! पहले सुमित्रा और अब बड़के दादा शर्मिन्दगी से गर्दन झुकाए थे. बस एक वाक्य निकला उनके मुंह से- ’हमें माफ़ कर देना छोटी बहू....’ सुमित्रा के लिये तो जैसे तारणहार बन के आई थी रमा! स्नेह तो पहले ही बहुत था दोनों के बीच, अब ये डोर और मजबूत हो गयी. उधर मामला उलट जाने से कुन्ती की रातों की नींद हराम हो गयी. बड़े दादाजी ने कुन्ती से बस इतना कहा था कि-’ अभी जो हुआ सो