चिरइ चुरमुन और चीनू दीदी (कहानी पंकज सुबीर) (1) इस कहानी में जो चिरइ चुरमुन हैं वो ही ‘हम’ हैं । ‘हम’ का मतलब वो जो कहानी सुना रहा है । यहाँ पर ‘मैं’ की जगह पर ‘हम’ इसलिये सुना रहा है कि यहाँ कहानी किसी एक की नहीं है बल्कि हम काफी सारों की है । हम ही यहाँ पर प्रथम पुरुष हैं । हम काफी सारे जो उस समय वैसे तो चिरइ चुरमुन में गिने जाते थे, लेकिन हक़ीक़त ये थी कि हम उस समय चिरइ चुरमुन थे नहीं । ‘हम’ का मतलब इस छोटे से क़स्बे के