कौन दिलों की जाने! - 41

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कौन दिलों की जाने! इकतालीस रानी ने अंजनि और संजना से फोन पर बात की। उन्हें बताया कि पच्चीस मार्च को एक छोटा—सा कार्यक्रम रखा है, जिसमें गैट—टू—गैदर के अतिरिक्त पुस्तकालय का उद्‌घाटन व नेत्रदान की शपथ ली जायेगी। दोनों ने सीधे मना तो नहीं किया, किन्तु यह कह दिया कि मम्मी—पापा (सास—ससुर) से बात करके बतायेंगी। जो अपेक्षित था, वही उत्तर अर्थात्‌ वे नहीं आ पायेंगी, दूसरे दिन रानी को मिल गया। विनय ने भी फिर कभी आने की कह कर पला झाड़ लिया। आलोक ने भी सौरभ और पूर्णिमा को सूचित किया। सौरभ ने कहा कि वह अस्पताल