कौन दिलों की जाने! - 33

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कौन दिलों की जाने! तेंतीस घर पहुँच कर रानी ने रमेश को फोन मिला कर अपने पहुँचने की सूचना दी। रमेश ने कहा — ‘तुम्हारे जाने के बाद मैंने नन्दू ड्राईवर को खाना बनाने के लिये सहमत कर लिया है। वह मेरे साथ आकर खाना बना लेगा।' ‘मेरी गैर—हाज़िरी में तो ठीक था। आज तो मैं स्वयं खाना बनाऊँगी।' रमेश ने बात को और न बढ़ाते हुए इतना ही कहा — ‘रखता हूँ। बाकी बातें बैठकर करेंगे।' रात को रोज़ की भाँति रमेश साढ़े आठ बजे घर पहुँचा। रानी ने ‘राम—राम' की। थोड़ी देर बाद रानी ने रमेश के लिये