आघात - 10

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आघात डॉ. कविता त्यागी 10 कौशिक जी ने अपनी बेटी के मानसिक द्वन्द्व की स्थिति को तुरन्त भाँप लिया । उन्होंने मुस्कराते हुए कहा - ‘‘कुछ कहना चाहती हो, तो कहती क्यों नहीं हो ?’’ ‘‘पिताजी, आपको कहीं जाना तो नही है ?... मतलब, जल्दी तो नहीं जाना है ?’’ ‘‘नही, अभी हम कहीं नहीं जा रहे हैं ! आज हम तुम्हारे साथ बातें करेंगे ! और तब तक करेंगे, जब तक तुम चाहोगी ।’’ ‘‘सच!’’ ‘‘बिल्कुल सच!’’ ‘‘अर्थात, आप आज कहीं बाहर नहीं जाएँगे, सारा दिन घर पर ही रहेंगे?’’ ‘‘हाँ ! बिल्कुल सही समझा है तुमने ! आज