ए मौसम की बारिश - २

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उसने कागज खोलकर पढा 'मुजे माफ् कर दो जैसा तुम सोच रही हो वैसा कुछ नही है मेने ऐसा वैसा कुछ नही देखा ओर एक बात मुजे तुम्हारा डांस बहुत अच्छा लगा।' कागज को पढ़ कर वो हसने लगी ओर वही से जोर से बोली 'ओये नाम क्या है तुम्हारा..?' 'ज..ज..जी जयदेव.. ओर आपका ?' 'मीरा.. , तुम यही रहते हो..?' 'हा.., लेकिन आप..' 'में दिल्ही से हु छुटिया चल रही है मामाजी के यह कुछ दिन आयी हु..' 'हम मिल सकते है..?' 'हा लेकिन सिर्फ छत पर..' उसके