भदूकड़ा - 11

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तब कुन्ती ब्याह के आ गयी थी इस घर में. सुमित्रा की वाहवाही सुन के कान पके जा रहे थे उसके. जिसे देखो उसे, वही सुमित्रा की माला फेर रहा!! और तो और, खुद कुन्ती से ही सुमित्रा की तारीफ़ किये जा रहा! कैसे बर्दाश्त करे कुन्ती!! यहां तक की बड़े दादा ( कुन्ती के पति) भी सुमित्रा की तारीफ़ कर रहे, कुन्ती से!!!! जली-भुनी कुन्ती अब मौक़े की तलाश में जुट गयी कि कैसे इस सुमित्रा को सबके सामने नीचा दिखाया जाये. उधर सुमित्रा जी कुन्ती की चिन्ता में अधमरी हुई जा रही थीं. कुन्ती को तो इतने काम