ततइया (3) ”नहा-धोकर भोर में ही तैयार हो जाया कर, सारा दिन लोग आते-जाते हैं, अच्छा नहीं लगता बहू !“शन्नो उल्टे पैर कोठरी में वापस चली गई। बारिन का चेहरा पीला चड़ गया। सिल्लो ने गटागट पानी पीया फि़र बोलीµ”चल री सहजो, तुझसे अच्छा वकील कोई नहीं हमारा---तू हराएगी उस ससुरे गिध को जो बात-बेबात बखेड़ा खड़ा कर रहा है।“”चलती हूँ,“ भरी आवाज़ में बारिन बोली। उसके तेवर तो टूटकर गिर चुके थे। मन में प्रश्न उठ रहा था कि वह तो बूढ़ा खूसट गिध है और तू क्या है सहजो---डायन, ततइया मंथरा या फि़र---किस मुँह से जाएगी तू किसी