कौन दिलों की जाने! - 23

  • 4.4k
  • 1
  • 1.7k

कौन दिलों की जाने! तेईस जैसे नदी का प्रवाहमय जल सरस व पवित्र होता है और स्थिर जल में से थोड़े समय पश्चात्‌ ही दुर्गन्ध आने लगती है, ठीक उसी प्रकार यदि दाम्पत्य जीवन की स्थिति स्थिर जल की तरह हो जाये तो सरसता लोप हो जाती है, उसका स्थान ले लेती है नीरसता व उबाऊपन। समीर के मन्द—मन्द झोंकों—सी नोंक—झोंक जीवन को आह्‌लादित करती है। तूफान—रूपी प्रचण्ड उत्ताल तरंगें जीवन को युद्ध—क्षेत्र में परिवर्तित कर देती हैं। पति—पत्नी के स्वभाव की विषमताओं के होते हुए तथा विचारों में मतैक्य न होने पर भी उनके जीवन में समरसता का प्रवाह