रिमोट से चलने वाला गुड्डा - 2

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रिमोट से चलने वाला गुड्डा मज्कूर आलम (2) अरे छोड़ो न, कहां तुम इन चीजों में फंसी हो। तुम जैसी हो, मुझे वैसी ही सुंदर लगती हो। मगर प्रतीक... तब तक चाय खत्म हो गई थी। प्रतीक एक बार फिर लैपटॉप से उलझ गया था। उसे अपनी तरफ ध्यान न देता देख वह जिदभरे स्वर में बोली- ठीक है अगर मैं दुबली नहीं हो सकती तो क्या? कोई बात नहीं। मैं वह गुडिय़ा तो ले ही सकती हूं। स्लिम-ट्रिम गुडिय़ा! मुझे वह गुडिय़ा चाहिए। उसे गोद में लेकर मुझे उसमें अपना अक्स देखना है। दस साल पहले वाली पवित्रा को