इज़हारे ग़म उसे आता न था...सिर्फ़ चालीस दुकान की आत्मा ने ही नहीं, अनेक आत्माओं ने मुझसे कहा था कि वे अपना नाम भूल चुकी हैं। ऐसी आत्माएं अपनी पहचान के लिए एक कूट संख्या (Code number) बतलाती थीं। इन अनेक संख्याओं को स्मरण में रखना तो कठिन था। लिहाज़ा, मैंने एक डायरी में इन संख्याओं को दर्ज करना शुरू किया, उनके किंचित् विवरण तथा महत्वपूर्ण वक्तव्यों के साथ, ताकि उनके पुनरागमन पर तत्काल उन्हें पहचान सकूँ। मेरी बाद की परलोक-चर्चाओं के लिए वह दस्तावेज़ बड़े महत्त्व का सिद्ध हुआ। ...इन सारे कार्य-व्यापारों में मेरी रातों की नींद दुश्वार हो