कौन दिलों की जाने! बीस चार जुलाई को सायं छः बजे के लगभग आलोक ने रानी को कॉल की और पूछा — ‘हैलो मॉय डियर, कल का प्रोग्राम उसी तरह रहेगा, जैसा हमने प्लान किया था या कोई चेंज है?' ‘वैसा ही होगा, जैसा हमने सोचा हुआ है।' ‘तब तो तय रहा कि मैं बारह बजे के लगभग ‘जे डब्लयू मेरियट' में पहुँच कर तुम्हारा इन्तज़ार करूँगा, और अगर कहो तो मैं तुम्हें घर से भी ‘पिकअप' कर सकता हूँ।' ‘आलोक, तुम्हें घर आने की जरूरत नहीं। मैं ही बारह—साढ़े बारह बजे तक पहुँच जाऊँगी।' ‘तो फाइनल रहा। बॉय।' पाँच