शौर्य गाथाएँ - 17 - अंतिम भाग

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शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (17) एक नदी-एक पुल सैनिक अधिकारी की पत्नी होने के नाते मैंने अपने जीवन के लगभग ३५ वर्ष वीरता, साहस एवं सौहार्द से परिपूर्ण वातावरण में बिताए। इतने वर्षों में मैंने सुख-दु:ख, मिलन-वियोग, प्रतीक्षा-उत्कंठा तथा गर्व आदि कितने भावों- अनुभावों को भोगा और अनुभव किया है । इस लम्बी जीवन यात्रा में कभी कभी ऐसे क्षण आए जो मन और मस्तिष्क में अपनी अमिट छाप छोड़ गए| आपके समक्ष प्रस्तुत हैं ऐसे ही कुछ अविस्मरणीय क्षण । सैनिकों के कार्यकाल में कई ऐसे अवसर आते हैं जब भारतीय सेना की कुछ इकाइयों को सीमाओं की रक्षा