एक जिंदगी - दो चाहतें - 41

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एक जिंदगी - दो चाहतें विनीता राहुरीकर अध्याय-41 शाम को भरत भाई तनु से मिलने आये। पिता को देखकर तनु शरमा गयी। भरत भाई ने तनु को सीने से लगाकर उसका माथा चूम लिया। 'तो इसलिये रसगुल्ले खाने का मन कर रहा था बिटिया का। वह हँसते हुए बोले। तभी ड्रायवर गाड़ी में से ढेर सारा सामान लेकर आया। ढेर सारे फूलों के सुंदर-सुंदर बुके, ढेर सारे खिलौने, मिठाई, तनु की पसंदीदा चॉकलेटें। देखते-देखते तनु का कमरा फूलों और खिलौनों से भर गया। प्यारे-प्यारे टेडी बियर, पपी, गुडिय़ा। रात का खाना खाकर और तनु को ढेर सारा प्यार करके भरत