कौन दिलों की जाने! - 19

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कौन दिलों की जाने! उन्नीस 9 जून को ‘कबीर जयंती' पर पंजाब यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के संयोजक आलोक के एक मित्र थे, अतः उसे भी इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिये निमन्त्रण—पत्र मिला था। कार्यक्रम का समय सायं छः से आठ था। आलोक ने सोचा, गर्मी की वजह से पटियाला से दोपहर चार बजे निकलना तो बड़ा मुश्किल होगा, खाना खाकर चण्डीगढ़ के लिये निकल लेता हूँ। कार्यक्रम से पहले रानी से भी मिलना हो जायेगा। जब तक रानी के घर पहुँचूँगा, वह घर के कामकाज भी निपटा चुकी होगी। उसे आज