फैसला - 5 - अंतिम भाग

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फैसला (5) मै भी तो बहुत परेशान थी | जिस जद्दोजहद से मै गुजर रही थी अब उसका हल निकलना ही चाहिये, यह सोच कर ही मैने बात छेड़ी, "सुनो मुझे तुम से बात करनी है " विजयेन्द्र ने अख़बार से नजर उठा कर मुझे देखा, " बोलो क्या बात है अब क्या हो गया " मैने उस दिन की सारी बातें बताई वो सुनते रहे, " मेघा तुम अब बंद करो यह फ़ालतू बकवास तुम्हारे भड़काने से मै अपने माँ बाप को नहीं छोड़ सकता, " मै कुछ दिन के लिये अपने मायके चली आई | इस बार मुझे किसी