एक जिंदगी - दो चाहतें - 40

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एक जिंदगी - दो चाहतें विनीता राहुरीकर अध्याय-40 शाम को घर जाते हुए तनु एक होम्योपैथिक डॉक्टर को दिखाकर और दवाईयाँ लेकर घर आई। परम ने दिन भर में न जाने कितने फोन लगाकर उसे बार-बार ताकीद की थी कि वो डॉक्टर को दिखाए बिना शाम को घर में नही जायेगी। उसकी तसल्ली के लिए तनु डॉक्टर को दिखा आयी। परम रोज सुबह शाम उसे दवाईयाँ लेने की याद दिलाता रहता। तनु समय पर दवाईयाँ ले लेती लेकिन उसके सिर का भारीपन और थकान दूर नहीं हुई। पीठ भी दर्द करती रहती। एक दिन तो तनु ऑफिस भी नहीं जा