सुमित्रा जी के घर का माहौल पढ़े-लिखे लोगों का था, जबकि तिवारी के परिवार में अधिकांश महिलायें बहुत कम या बिल्कुल भी नहीं पढ़ी थीं. सो सुमित्रा जी का पढ़ा-लिखा होना यहां के लिये अजूबा था. इज़्ज़त की बात तो थी ही. सगी-चचेरी सब तरह की सासें अपनी इस नई दुल्हिन से रामायण सुनने के मंसूबे बांधने लगीं. सुमित्रा जी की ससुराल का रहन-सहन भी उतना परिष्कृत नहीं था जितना सुमित्रा जी के घर का था सुमित्रा जी की ससुराल का रहन-सहन भी उतना परिष्कृत नहीं था जितना सुमित्रा जी के घर का था. . ये वो ज़माना था, जब