निश्छल आत्मा की प्रेम-पिपासा... - 12

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हमदम मेरे, जो बात तुमको चहिये थी खुद बतानी, वह हवा का एक कतरा था, कह गया सारी कहानी।... पाँच-छह महीने बाद मैं, शाही और ईश्वर सर्वत्र एक साथ दिखने लगे। ईश्वर ने कानपुर की 'हरी कॉलोनी' (Green colony ) के एक क्वार्टर में अपना आशियाना बनाया था, जो हमारे ठिकाने से बहुत दूर नहीं था। उनके पास एक अच्छा पाकशास्त्री भी था, जो बहुत स्वादिष्ट भोजन बनाता था। आये दिन उनके गाँव से कोई-न-कोई व्यक्ति स्वादिष्ट व्यंजन लिए चला आता और ईश्वर अपने घर हमें आमंत्रित करते। मेस के उबाऊ एकरस भोजन से पके हुए हम दोनों उत्साह