ज्ञान की सरिता

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ज्ञान की सरिता हर रोज की तरह आज भी सर्दी भरी रात गुजर गई सुबह के छ: बज चुके थे l अभी भी बाहर दरवाजे पर शीत लहर का प्रकोप था l सुबह सूरज की किरणें कब लौट कर आएगी इसका भरपूर इंतजार था l यही सोचते सोचते चारों ओर दीवारों पर ध्यान दिया l दीवारों पर टंगी हर एक तस्वीर पुरानी यादों को ताजा कर रही थी, उनमें एक तस्वीर ऐसी थी जिसमें सभी मुस्कान लिए पूरे सजे हुए ग्रुप में ऐसे बैठे थे मानो किसी शादी में दूल्हे के घर वाले हो l. यह ग्रुप सीबीएसई कार्य हेतु एकत्र