कशिश

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" कोशिश करती हूँ आने की। " " कोशिश नही नीरा, तुझे आना है बस, कैसे भी। " " हूँ, देखती हूँ ।" " अरे ! फिर देखती हूँ , तुझे आना है मतलब आना है। कोई बहाना नही चलेगा । " " हूँ, बाय। " उसने फोन रख दिया। दिलो दिमाग में गहरी उथल पुथल मच चुकी थी। अब आगरा जाना पड़ेगा । वह इस शहर में जाने से जितना बचना चाह रही थी अब जाना उतना ही ज़रूरी हो गया था। उसका कोई बहाना अब नहीं चलने वाला था। मधुर कुछ सुनने को तैयार नही थी। उसकी भतीजी