भदूकड़ा - 5

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वो कुंती मौसी का फोन था बेटा.’ ’हूं........’ मन ही मन मुस्कुराया अज्जू. जानता था मम्मी बतायेंगी ही. वैसे वो भी जान गया था कि फोन किसका रहा होगा. ’क्या कह रही थीं? आना चाहती होंगीं, या बीमार होंगीं, या बहुत परेशान....’ सुमित्रा जी के बताने के पहले ही अज्जू ने फोन की रटी रटाई वजहें गिनानी शुरु कर दीं. ’कुंती मौसी और परेशान!! हम लोग जानते तो हैं मम्मी उनकी आदत. उनकी वजह से दूसरे ही परेशानी उठाते हैं. वे ही सबको परेशान करती हैं, वो खुद कब से परेशान होने लगीं? और हां, अब तुम उन्हें बुला न