कौन दिलों की जाने! चौदह अंजनि और बच्चे होली के पाँच दिन बाद वापस चले गये। सभी को होली—मिलन समारोह में खूब आनन्द आया। हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को खूब हँसाया, कई श्रोता तो हँस—हँस कर दुहरे हुए जा रहे थे। उपस्थित श्रोताओं में से कइयों ने हँसी—मज़ाक के चुटकले तथा क्षणिकाएँ सुनाकर मनोरंजन किया। अन्त में फूलों की होली खेली गई और लड्डुओं का प्रसाद बाँटा गया। बच्चों ने ननिहाल में एक सप्ताह तक खूब मौज—मस्ती की। रमेश ने भी उन्हें काफी समय दिया। आर्यन अपना लैपटॉप तथा आई—पैड साथ लेकर आया था। रमेश