कौन दिलों की जाने! तेरह एक दिन रात का खाना खाने के बाद रमेश और रानी बेड पर बैठे टी.वी. देख रहे थे। आलोक से दोस्ती को लेकर रमेश के मन में शक की वजह से द्वन्द्व तो रहता था, लेकिन उसके पास रानी के विरुद्ध लच्छमी से प्राप्त आधी—अधूरी जानकारी के अतिरिक्त कोई ठोस सबूत नहीं था, जिसके आधार पर वह रानी के चरित्र पर सन्देह कर सकता। फिर भी चाहता वह जरूर था कि किसी—न—किसी तरह कोई कड़ी हाथ लगे ताकि रानी स्वयं वस्तुस्थिति प्रकट कर दे। इसीलिये उसनेे हवा में तीर चला कर अपना मनोरथ पूरा करना