निश्छल आत्मा की प्रेम-पिपासा... - 8

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जब सुनी गई पहली पुकार... उस शाम बाबा ने पराजगत के विषय में जो कुछ बतलाया, वह गूढ़ ज्ञान चकित करनेवाला था। वह तो एक सम्पूर्ण लोक ही है, जिसके कई तल (layer) हैं, कर्मानुसार शरीर-मुक्त आत्माएं विभिन्न तलों में प्रतिष्ठित होती हैं और अपना समय वहाँ व्यतीत करती हैं। परमशांत, आप्तकाम, जीवन्मुक्त आत्माएं समस्त तलों के पार चली जाती हैं अर्थात जन्म-मृत्यु चक्र से छूट जाती हैं। ऐसी आत्माएं कभी संपर्क में नहीं आतीं। उन्हें पुकारना व्यर्थ है। अपमृत्यु को प्राप्त आत्माएं सबसे निचले तल पर भटकती रहती हैं। उनमें अत्यधिक विचलन होता है, वे जगत-संपर्क के लिए किसी