धरना - 1

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शाम हों चली थी, सूरज वसुंधरा को कल आने का वादा करके जा चूका था.. शहर की सड़कों पर दिन की अपेक्षा शाम कुछ ज्यादा ही रंगीन दिखाई देने लगी थी... कहते हैं किसी के जीवन में जिंदगी भी दिन और रात के क्षितिज की तरह होती हैं जो कभी उसे मिल नहीं सकतीइस जहां में ऐसे कई लोग हैं... जो हमेशा जिंदगी की तलाश में हर शाम मरते हैं और हर सुबह नई आश के साथ जागते हैं.... .......शाम रात की और धीरे धीरे रफ्तार पकड़ रही थी, और उसी की रफ्तार में पार्टी का शुरूर भी बढ़ता जा रहा था