वह कोई और थी.....

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वह कोई और थी..... सुधा ओम ढींगरा क्रैब ट्री लेक पार्क में प्रातः सैर करने जाती हूँ। कुछेक दिन पहले वाकिंग ट्रेल (सैर करने वाली सड़क) पर सैर करते हुए, हल्की -हल्की हवा, जो उस दिन सबेरे से ही चल रही थी; जहाँ शरीर को स्फूर्ति दे रही थी वहीं क़दमों को भी तैनात किए हुए थी। जुलाई की कड़कती गर्मीं में हवा का धीरे -धीरे बहना, पत्तों का हिलना, झाड़ियों की सरसराहट एक ध्वनी उत्पन कर रही थी शायद गर्मीं से बौखलाई प्रकृति को भी हवा सकून दे रही थी। मैं उस ध्वनी से कदम मिलाती, प्रकृति के सान्निध्य