उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे की कहानी है ये. कस्बा छोटा, लेकिन रुतबे वाला था. और उससे भी अधिक रुतबे वाले थे वहां के तहसीलदार साब - केदारनाथ पांडे. लम्बी-चौड़ी कद काठी के पांडे जी देखने में तहसीलदार कम, थानेदार ज़्यादा लगते थे. बेहद ईमानदार और शास्त्रों के ज्ञाता पांडे जी बेटों से ज़्यादा अपनी बेटियों को प्यार करते थे. उनकी शिक्षा-दीक्षा, कपड़े, मनोरंजन हर चीज़ का ख़याल था उन्हें. अंग्रेज़ों के ज़माने के तहसीलदार पांडे जी, वैसे तो काफ़ी ज़मीन-जायदाद के मालिक थे, उनके अपने पुश्तैनी गांव में उनकी अस्सी एकड़ उपजाऊ ज़मीन थी, हवेलीनुमा मकान था,