नारीयोत्तम नैना भाग-5 राकेश के बेडरूम में कोलाहल होता हुआ देखकर धनीराम ने द्वार खोला--" तुम दोनों भाई-बहन फिर लड़ने लगे।" राकेश को भय था कि नूतन कहीं पापा को सबकुछ बता न दे। नूतन ने सामान्य होकर कहा- "देखो न पापा! राकेश ने एक हजार रूपये दो दिन का बोलकर मुझसे उधार लिए थे। आज पुरा एक वीक हो गया है। लेकिन राकेश रूपये देने का नाम ही नहीं ले रहा है।" नूतन ने बात को बदलते हुये कहा। "हां हां दे दूंगा, दे दूंगा। मैं कहीं भागे थोड़े ही जा रहा हूं।" राकेश भी नाटकीय रंग में रंगते