ए -वक्त तू क्यों रुका नहीं उस वक्त जो मेरे दिल के थे करीब आए थे लेने मुझे अपने साथ उस वक्त ll ख्वाब या हकीकत ,जब भी सोचती हूं उस मंजर को तो मेरी रूह कांप उठती हूं l वह अंधेरी रात , कोहरा ने ढका था सारा आसमान l खिड़की के बाहर यूं लग रहा था सफेद नदी बह रही हो उस पार l सारा परिवार निद्रा के आगोश में लिपटा हुआ था जैसे एक नवजात शिशु अपनी मां के साथ लिपटा हो l मैं भी घर के समस्त कार्य निपटा के जा रही थी अपनी सपनों की