" चल यार निशी फाइनली आज का एग्जाम हुआ, सच में बहुत लेंथी था पेपर " हमने अपना हाथ झिटकते हुए कहा। " हां मीरा तू ठीक कह रही है " निशी भी थकी हुई बोली। " देख बे माना आज तू अपनी स्कूटी लेकर अाई है पर इसका मतलब यह नहीं कि तू इसे चींटी की तरह रेंगा कर चलाए, चला जल्दी और घर छोड़ हमें " हमने अपनी आदतानुसर निशी की प्यार भरी बेइज्जती करते हुए कहा। " मीरा देख गोलगप्पे..... खाएगी ? " निशी की आवाज़ में खुशी कम लाचारगी ज्यादा थी। " क्या चाहिए कमीनी क्यों